प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी कोलकाता के बेलूर मठ गए....


कोलकाता (P.I.B) : प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी स्‍वामी विवेकानंद की जयंती और राष्‍ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आज कोलकाता के बेलूर मठ गए और वहा साधु संतों से मिले।  इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासियों के लिए बेलूर मठ जैसी पवित्र जगह पर आना किसी तीर्थयात्रा से कम नहीं है, पर उनके लिए यह हमेशा अपने घर लौटने जैसा है। उन्‍होंने इस पवित्र स्‍थान पर रात को विश्राम करने को सौभाग्‍य की बात बताते हुए कहा कि यहां पर स्‍वामी रामकृष्‍ण परमहंस, मां शारदा देवी,स्‍वामी ब्रह्मानंद और स्‍वामी विवेकानंद के प्रभाव का एहसास होता है।  


प्रधानमंत्री ने बेलूर मठ की अपनी पूर्व की यात्रा का स्‍मरण करते हुए कहा कि उस समय उन्‍होंने स्‍वामी आत्‍मस्‍थानंदजी का आर्शिवाद ग्रहण किया था जिन्‍होंने  उन्‍हें जनसेवा का मार्ग दिखाया था। प्रधानमंत्री ने कहा ‘आज भले ही स्‍वामी जी भौतिक रूप से मौजूद नहीं हैं लेकिन उनके कार्य, उनकी ओर से दिखाया गया मार्ग  हमेशा हमारा मार्ग दर्शन करता रहेगा।



प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें वहां मौजूद युवा ब्रह्मचारियों के बीच कुछ पल बिताने का मौका मिला और उन्होंने महसूस किया कि उनके पास भी ब्रह्मचारियों जैसी ही मन स्थिति थी। उन्होंने कहा कि विवेकानंद के व्यक्तित्व, विवेकानंद के विचारों की वजह से हममें से ज्यादातर लोग यहां खिंचे चले आते हैं। लेकिन यहा आने के बाद, माँ अन्ना शारदा देवी का आँचल हमें यहां बसने के लिए माँ सा स्‍नेह देता है।


उन्‍होंने कहा  “जाने अनजाने देश का हर युवा विवेकानंद के संकल्‍पों का हिस्‍सा है। समय और शताब्दियां बदल गईं  लेकिन स्‍वामी जी की युवाओं में चेतना लाने का संकल्‍प आज भी वैसा ही कायम है। उनके आर्दश और प्रयास आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देते रहेंगे। अपने दम पर पूरी दुनिया को बदलने का जज्‍बा रखने वाले देश के युवाओं को प्रधानमंत्री ने ‘ हम अकेले नहीं हैं’  का मंत्र दिया।


उन्‍होंने कहा कि 21 वीं सदी के लिए, देश ने बड़े संकल्प के साथ एक नए भारत के निर्माण के लिए कदम उठाए हैं और ये संकल्प सिर्फ सरकार के नहीं हैं, बल्कि 130 करोड़ देशवासियों, देश के युवाओं के भी हैं।


प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 5 वर्षों का अनुभव बताता है कि देश के युवाओं के साथ जुड़ने का अभियान सफल होना निश्चित है। उन्होंने कहा कि5 साल पहले तक, एक निराशा थी कि भारत स्वच्छ हो सकता है या नहीं और क्या भारत में डिजिटल भुगतान का प्रसार इतना बढ़ सकता है,लेकिन देश के युवाओं ने कमान संभाली और बदलाव दिख रहा है।


उन्होंने कहा कि युवाओं की ऊर्जा और लगन 21 वीं सदी में भारत में बड़े बदलावा का आधार बनी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा चुनौतियों का सामना करते हैं और उनका समाधान निकालते हैं और चुनौतियों को चुनौती देते हैं। युवाओं के इसी जज्‍बे के बूते सरकार  देश के समक्ष खड़ी दशकों पुरानी चुनौतियों से निबटने का प्रयास कर रही है।



राष्‍ट्रीय युवा दिवस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे हर युवा को मनाएं, उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में समझाएं और उनके मन में इसके लेकर जो भी भ्रम है उसे दूर करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम नागरिकता छीनने का कानून नहीं है, यह नागरिकता देने का कानून है। उन्‍होंने कहा कि विभाजन के बाद पाकिस्तान में अपने धार्मिक उत्‍पीड़न का शिकार हुए लोगों को भारत की नागरिकता देना आसान बनाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम में महज एक संशोधन किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने भी उस समय ऐसी व्‍यववस्‍था किए जाने का समर्थन किया था। उन्‍होंने कहा कि आज भी, किसी भी धर्म का व्यक्ति, चाहे वह भगवान में विश्वास करता हो या नहीं ... जो भी भारत के संविधान में विश्वास करता है, वह निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत भारत की नागरिकता ले सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने अधिनियम के कारण उत्तर पूर्व की आबादी के स्‍वरूप पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसकी भी व्‍यवस्‍था की है। प्रधानमंत्री ने कहा  कि इस तरह की स्पष्टता के बावजूद, कुछ लोग अपने राजनीतिक कारणों से नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में लगातार भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर इतना विवाद नहीं होता तेा शायद  दुनिया को यह भी नहीं पता चलता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर कैसे अत्‍याचार हुए हैं।.


प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति और हमारा संविधान हमसे नागरिकों के रूप में हमारे कर्तव्यों, ईमानदारी और पूर्ण समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने की उम्‍मीद रखता है। प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस राह पर चलकर हम भारत को विश्व पटल पर उसके सही स्‍थान दिला पाएंगे।  प्रत्येक भारतीय से स्वामी विवेकानंद की यही अपेक्षा थी और यही इस संस्था के मूल में भी है। और हम सभी उनके सपनों को सच करने का संकल्प ले रहे हैं।



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