प्याज ने निकाले जनता के आँसू...
- प्याज से निकलने लगे जनता के आँसू
दैनिक नगर संवाद नवीन यादव की रिपोर्ट
झांसी: सब्जियों के बढ़े हुए दामों ने जनता को बेहाल कर रखा है. सब्जियों में जायका लाने वाले प्याज के रेट एक बार फिर से आ समान छू रहे हैं. जो प्याज एक सप्ताह पहले 40 से 50 रुपया किलो बिक रहा था, वही प्याज आज 80 रुपये किलो पहुंच गया है. जिस वजह से आम आदमी के किचन का बजट बिगड़ गया है. प्याज के दाम बढ़ने के कारण सबसे पहले सलाद की थाली से प्याज गायब हो गया है. प्याज से निकलने लगे जनता के आँसू अब धीरे-धीरे ये प्याज सब्जी के जायके से भी गायब होने लगा लगा है एक हफ्ते में बढ़ी कीमते फुटकर विक्रेता कहते हैं कि प्याज बिक नही रहा है. पहले जहां लोग आलू के साथ प्याज खरीद लेते थे, वहीं अब सिर्फ दाम पूछ कर छोड़ दे रहे हैं. पहले जो दो किलो प्याज खरीददता था वो अब आधा किलो ले रहा है।
वहीं थोक मार्केट में प्याज 58 से 64 रुपये किलो में मिल रहा है. थोक व्यापारी का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से प्याज के दाम में तेजी देखी जा रही है. दक्षिण भारत के राज्यों और महाराष्ट्र में बारिश ने प्याज की फसल को खराब कर दिया है. नई प्याज जो मार्केट में आ जानी थी, वह नहीं आ पायी. वहां पर करीब 70 प्रतिशत प्याज खराब हो गया है. अब पूरा देश पुराने प्याज पर ही निर्भर हो गया है. इसलिए प्याज के दाम बढ़ रहे हैं. प्याज के दाम यहीं पर नहीं रुकने वाले अभी और भी बढ़ेंगे, क्योंकि अब जो नई प्याज आयेगी उसके आने में एक से डेढ़ महीने का वक्त है. इसलिए ये प्याज अभी और रुलायेगी होटल में थालियों से गायब प्याज वहीं जो आम लोग हैं वो खासे परेशान हैं. प्याज जो सब्जियों के जायके को बढ़ता है, उसने बजट ही बिगाड़ने की ठान रखी है. पहले दिपावली और छठ के कारण आम आदमी का कुछ बजट बिगड़ा और इसी बिगड़े बजट में सब्जी के दाम परेशान करने लगी है. प्याज को अब लोग शौक में नहीं मजबूरी में खरीद कर घर ले जा रहे हैं. होटल व्यवसाईयों का कहना है कि प्याज के दाम ने उनके होटल के खाने के बजट को तो बिगाड़ा ही दिया है साथ ही ग्राहकों को संतुष्ट भी नहीं किया जा पा रहा है. पहले जहां होलट में 15 किलो प्याज का प्रयोग होता था वो अब दस किलो हो गया है, जिससे स्वाद पर असर पड़ रहा है तो ग्राहक सवाल करने लगा है कीमत 100 के पार जाने की आशंका 2015 के बाद सितम्बर 2019 में प्याज की कीमतों में इतनी तेजी आयी थी, हालाकि सरकार के प्रयासों से इस पर काबू पा लिया गया था. उस समय महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में आयी बाढ़ के कारण प्याज की सप्लाई प्रभावित हुई थी, जिसको सरकार ने सुधारा था. साथ ही प्याज से एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा कर प्याज की कीमतों को रोक लिया गया था. लेकिन कीमते एक महीने भी स्थिर नहीं रह सकीं और एक बार फिर अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंचने को बेकरार हैं. अगर आने वाले दिनों में सरकार कोई और सख्त कदम नहीं उठाती है तो प्याज की कीमत शतक तो लगाएगी ही. उसके ऊपर का स्कोर भी बना सकती हैं