अगला जन्म मोहे गाय का न दीजो - गाय की करुण पुकार...


रामकुमार वर्मा की विशेष रिपोर्ट

बाराबंकी (नगर संवाद)। सफदरगंज इलाके के अम्बौर में बने गौआश्रल में मौजूद गौवंश की हो रही हैं दुर्दशा।

 गौआश्रल में बन्द दर्जनों गौवंशो की हालत गंभीर, चारा और ईलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे गौआश्रल में बंद गौवंश, बीमार पड़े गौवंशो को नोच रहे कुत्ते और कौव्वा, प्रशासन के अफसरों की लापरवाही आई सामने। मुख्य द्वार पर ताला लगाकर अंदर बैठते हैं कर्मचारी।  गोवंश की इस बुरी दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है।


इन दिनों सर्वाधिक दुर्दशा गायों की हो रही है। कस्बे मे जिस तरफ देखो गायों के झुंड के झुंड आवारा रूप से विचरण करतीं नजर आ रहीं हैं। नगर के मुख्य बाजार,  बस स्टैंड, सब्जी मंडी एवं अन्य स्थानों पर सैकड़ों की तादाद में आवारा गाय मुख्य मार्ग पर नजर आती है। जिसकी वजह से मुख्य मार्ग से गुजरने वाले वाहनों एवं पैदल चलने वाले लोगों के लिए मुसीबत बनी हुईं हैं। इसके अलावा आवारा गाय सड़कों पर दुर्घटना की शिकार हो रही हैं। हमारा हिंदू समाज गाय को पूजनीय मानता है। गाय को हमारे हिंदू समाज में माता का दर्जा प्राप्त है। फिर आज गाय की इतनी दुर्दशा हो रही है। जिसकी हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। गाय को रखने वाले लोग स्वार्थी हो गए हैं जब तक गाय दूध देती है। तब तक तो लोग उसे अपने पास रखते हैं और उसके बाद उसका दूध निकाल कर सड़कों पर आवारा रूप से छोड़ देते हैं। सड़कों पर झुंड के झुंड विचरण कर रहीं गाय।

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