कीमो एंव रेडिएशन थैरेपी के बगैर भी हो सकता है कैंसर का इलाज।
- कीमो एंव रेडिएशन थैरेपी के बगैर भी हो सकता है कैंसर का इलाज।
अब कीमो एवं रेडिएशन थैरेपी के बगैर भी कैंसर रोग का उपचार संभव है। जो न केवल सस्ता है, बल्कि इस उपचार में कीमो और रेडिएशन थैरेपी की वजह होने वाले साइड इफेक्ट से भी बचा जा सकेगा। अब मिथाइलग्लॉक्सल से ट्यूमर (कैंसर) को रोका जा सकता है। जो शरीर की अन्य कोशिकाओं पर भी दुष्प्रभाव नहीं डालता। इसके जरिए कैंसर के अंतिम स्टेज तक के सत्तर फीसदी रोगी ठीक हो जाते हैं। यह बात देश की जानी-मानी आणविक एनजिमोलॉजी और कैंसर बायोकैमिस्ट्री की ख्यातनाम वैज्ञानिक डॉ. मंजू रे ने कही। वह यहां उदयपुर में आयोजित एक कार्यशाला में भाग लेने आई हुई हैं।
डॉ. रे ने बताया कि अपनी दिनचर्या के अन्दर कुछ मामूली बदलाव लाकर भविष्य में होने वाले कैंसर की सम्भावना को कम किया जा सकता है, वहीं कैंसर होने पर इसे बढऩे से रोका जा सकता है। जो प्राकृतिक नियम जीवन के लिए हैं, वहीं इसमें निभाने होंगे। इसके लिए कोई अलग नियम नहीं बने हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर को रोकने पर गहन शोध चल रहा है। मिथाइलग्लॉक्सल के जरिए कैंसर के उपचार को लेकर अच्छे परिणाम सामने आए हैं। मिथायल ग्लायाक्सोल की कोशिकाओं में कमी के कारण कैंसर होता है
मिथाइलग्लॉक्सल के उपयोग के बाद रोगियों को कीमो तथा रेडिएशन थैरेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। कीमो और रेडिएशन थैरेपी के दुष्प्रभाव हैं लेकिन जब मिथाइलग्लॉक्सल का उपयोग होता तो वह दुष्प्रभावों से ही नहीं बचेगा, बल्कि उसका उपचार भी सस्ता होगा। इसमें कैंसर रोगी को आर्थिक रूप से बहुत बड़ी राहत ही नहीं मिलती बल्कि उसका जीवन भी बचने की उम्मीद अन्य किसी चिकित्सा उपायों से कई गुना ज्यादा होती है।
उन्होंने बताया कि वह पूर्व में जिन वैज्ञानिकों ने इस उपचार को लेकर शोध किए, उनको आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं। उनसे पहले अमेरिकन वैज्ञानिक डॉ. विलियम एफ. कोच और विटामिन सी के खोजकर्ता नोबल पुरुस्कार विजेता हंगरी के वैज्ञानिक डॉ. अल्बर्ट स्जेंट ग्योर्गी भी इस बारे में शोध कर चुके हैं।
गौरतलब है कि शांति स्वरूप भटनागर एवं अनेक पुरुस्कारों से सम्मानित डॉ. मंजू रे कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च कोलकाता से कैंसर चिकित्सा पर शोध में जुटी हैं। उनके पांच दर्जन से अधिक शोध पत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।