पालीथीन के विरुद्ध प्रसाशन का अभियान हुआ धड़ाम...
एन. एस. न्यूज नेटवर्क
कानपुर/सूरजसिंह तोमर। बीते पखवारे शासन के आदेश पर शुरू हुआ पॉलीथिन विरोधी अभियान अकर्मण्य विभागों और उनके भृष्ट कर्मियों की वजह से औंधे मुंह गिर गया।बड़े जोर शोर से पॉलीथिन बन्दी की बात चली थी लेकिन महज एक हफ्ते के भीतर ही प्रसाशन का जोश मानो ठण्डा पड़ गया हो।
- नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी अब सिर्फ अभियान के नाम पर फ्री में ठेले वालो से फल और सब्जी का जुगाड़ भर कर रहे है।
- दबाव थोड़ा बड़ा तो किसी सब्जी मंडी या सड़क किनारे लगे ठेले वालो के यहाँ से 100 या 200 ग्राम पालीथिन पकड़ कर अपनी पीठ थपथपा लेते है
- आज भी तम्बाकू,बीड़ी,टॉफी चॉकलेट सभी प्लास्टिक के हार्ड पैकेट्स में ही पैक होकर आ रही है।
- ऑटो पार्ट्स हो या हार्डवेयर के तमाम समान सबमे अत्यधिक माइक्रोन की प्लास्टिक पैकेट ही चल रहे है
- तमाम गुटका और खैनी बदस्तूर प्लास्टिक पाउच में ही बिक रही है जिनसे शहर में प्रदूषण और गंदगी फैली हुई है।
- प्लास्टिक की पालीथिन बनाने वाले निर्माताओं पर अब भी कोई कार्यवाही नही हो रही है।
- सिर्फ छोटे दुकानदारों पर ही कार्यवाही करके प्रसाशन महज खाना पूरी करने में लगा हुआ है।
मतलब साफ है शासन और प्रशासन के बाकी अभियानों की तरह कानपुर में पॉलीथिन बन्दी का ये अभियान भी धड़ाम ही है।