योगी के इस अफसर ने शहीद की विधवा से छीनी रोटी...



फतेहपुर । भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग में अब्दुल हामिद के साथ फतेहपुर बबई निवासी राम दुलारे शुक्ला दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। युद्ध के मैदान में दोनों जाबांज शहीद हो गए थे। तत्कालीन सरकार ने शहीद राम दुलारे शुक्ला की पत्नी सिया प्यारी शुक्ला को सात बीघे खेत और एक राशन की दुकान दी थी। लेकिन ढाई साल पहले योगी सरकार के अफसर ने राशन की दुकान का लाइसेंस निरस्त कर विधवा की रोटी छीन ली। इतना ही नहीं, इस अफसर ने अपने रिश्तेदार के साथज मिलकर उसकी जमीन पर भी कब्जा कर लिया। शिकायत के बाद खेत तो मिल गए पर राशन की दुकान नहीं मिली।



केंद्र और प्रदेश की सरकारे शहीदों के परिवारों के आंसू पोछने और सुविधाएं देने का ढिढोरा पीट रही है। इसकी नजीर फतेहपुर जनपद के अमौली ब्लाक के बबई गांव में देखने को मिली। शहीद कोटे से हुई राशन की दुकान को करीब ढ़ाई साल पहले एक अधिकारी ने छीन ली। शहीद की विधवा पत्नी शियाप्यारी के जीवनयापन करने का यही एक मात्र सहारा था उसे भी छीन लिया गया। विधवा न्याय के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चौखट में तीन बार गई। पीडिता ने बताया कि भाजपा के एक कददावर मंत्री ने मुख्यमंत्री से   मिलाया। शासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए  तत्कालीन जिलाधिकारी मदन पाल को पत्र भेजा। इसके बाद भी कोटे की दुकान बहाल नहीं की गई। शहीद की पत्नी को जमीन का पटटा पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के आदेश पर मिला था। 



शिवप्यारी ने यह भी बताया कि शादी के तीन माह बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग में अब्दुल हामिद के साथ उसके पति राम दुलारे शहीद हो गए थे। वह शादी के बाद एक दिन ही अपने पति के साथ रही। पति राजपूत रेजीमेंट(सोलजर) में सैनिक पद पर तैनात थे। बताया शादी के समय उसकी  उम्र 14 वर्ष थी। जबकि पति की 26 वर्ष थी। वह अपनी ससुराल कौंह गांव एक बार गई। शादी के बाद नवरात्रि में ससुराल जाने की तैयारी चल रही थी कि उसके मायके बबई  में पति के शहीद होने की खबर मिली। इसके बाद से शियाप्यारी अपने भाई महेश शंकर शुक्ला के साथ रहती है। जिस महिला ने अपने देश की खुशी के लिए पति को बलिदान कर दिया। उसी शहीद की वृद्ध पत्नी इंसाफ के लिए दर- दर भटक रही। 



पाकिस्तान का टैंक तोड़कर अब्दुल हमीद 16 सितम्बर 1965 को वीरगति को प्राप्त हो गए थे। फतेहपुर के कौंह गांव के राम दुलारे 20 सितम्बर 1965 को पाकिस्तान का टैंक तोड़ा। राजपूत सैनिक टुकडी में खुशी की लहर थी तभी युद्ध के अंतिम दिन पाकिस्तान द्वारा किए गए बम ब्लास्ट में राम दुलारे शहीद हो गए।



बताते चले कि शासन के आदेश पर शहीद की पत्नी को 1992 में कोटे की दुकान मिली थी। जिसे विभाग के एक अधिकारी ने मनमानी ढंग से वर्ष 2017 को कोटे की दुकान को निरस्त कर दिया। अधिकारी द्वारा की गई एक तरफा कार्यवाही को लेकर 85 ग्रामीणों ने शपथ पत्र दिया। जिसमें एक दर्जन लोगों के बयान हुए लेकिन शहीद की पत्नी को अभी तक न्याय नहीं मिल सका। अभी भी उसे न्याय की उम्मीद है।


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