मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो क्या आपने कभी इसके पीछे का तकलीफ, दर्द को महसूस किया


नवीन कुमार यादव (लेख)


तुम तो मज़े से भोज खा रहे होते हो लेकिन कभी उस विधवा औरत के बारे मे भी सोचा जो अब भी घर के अंधेरे कमरे मे किसी कोने में भरी गर्मी मे भी कम्बल ओढकर बैठी हुई है वो पिछले १३ दिनो से लगातार रो रही है और उसके आंसु सुखते तक नहीं है वो ना जाने कितने दिनों से भूखी होगी जिसे बाकी की सारी उम्र अपने पति के बिना सादगी से काटनी पड़ेगी! *मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो उन बच्चों के बारे में भी सोचो जिनके सर से अपने बाप का साया उठ चुका है और जो हफ़्ते दस दिन से भूखे प्यासे आपके खाने पीने की ज़रूरतो को पुरा करने मे लगे हुए हैं इस *मृत्यु भोज के लिए चाहे कर्ज ले या ज़मीन बेचे चाहे बच्चों की पढ़ाई छुटे या कम उम्र में ही मज़दुरी करनी पड़े पैसे तो उन्ही को चुकाने है आपको तो आपके भोज से मतलब है कभी उनकी आँखों मे आंखें डालकर देखना बाप का साया सर पर से हटने की टेंशन साफ दिखाई देगी अगर वाकई मे इंसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो खुशी के मौके भी जिंदगी में  खुब आते है तब खाओ ना, जी भरकर जितना खा सको । 



 समाज के सभी गणमान्य लोगों से हाथ जोङ कर विनती है कि म्रत्यु भोज बंद करने हेतु समाज मे आगे आये आप सभी महानुभावो की ये छोटी सी पहल हमारे समाज के युवा को कर्जदार होने से रोक सकती है और समाज को एक कुरीति से निजात मिल सकती है अतः आप एक बार फिर से इस कुरीति के बारे में विचार करें कि क्या यह बंद होना चाहिए या नहीं ?


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