50 लाख टन LNG आयात करेगा भारत...


 


पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत और अमेरिका के रक्षा व विदेश मंत्रियों के बीच हुई 'टू प्लस टू' वार्ता में अमेरिकी पक्ष ने प्रस्ताव रखा था कि वह भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा आपूर्तिकर्ता देश बनना चाहता है। इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए रविवार को अमेरिका ने अगले 40 वर्षो तक भारत को सालाना 50 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति पक्की कर दी।


• ह्यूस्टन में रविवार को प्रधानमंत्री की अमेरिका की दिग्गज ऊर्जा कंपनियों के प्रमुखों के साथ बैठक हुई। इसके बाद भारत में लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) आयात करने वाली सबसे बड़ी कंपनी पेट्रोनेट ने अमेरिकी कंपनी टेलुरिएन के एलएनजी टर्मिनल में 2.5 अरब डॉलर (करीब 17,500 करोड़ रुपये) के निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी के तहत भारत को अगले 40 वर्षो तक 50 लाख टन सालाना एलएनजी की आपूर्ति होगी।


• भारत ने अमेरिका से पिछले वर्ष अप्रैल से एलएनजी आयात करना शुरू किया है। सरकारी कंपनी गेल लिमिटेड सालाना 23 लाख टन एलएनजी का आयात कर रही है। पेट्रोनेट और टेलुरिएन के बीच हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका में स्थापित किए जाने वाले एलएनजी टर्मिनल में 20 फीसद इक्विटी भारतीय कंपनी की होगी। 



• यह अमेरिका की सबसे बड़ी एलएनजी परियोजना है। साथ ही यह किसी भी भारतीय कंपनी की तरफ से अमेरिका के ऊर्जा क्षेत्र में किया गया सबसे बड़ा निवेश है।


• तीन हफ्ते पहले ही पीएम की रूस यात्र के दौरान भी भारतीय कंपनी पेट्रोनेट व एच-एनर्जी और रूस की कंपनी नोवाटेक के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों कंपनियां एक संयुक्त उपक्रम बनाएंगी, जिसके माध्यम से रूस से भारत समेत कई दूसरे देशों में एलएनजी की आपूर्ति की जाएगी। इस तरह से दुनिया की दो बड़ी ताकतों के साथ भारत ने एलएनजी खरीदने का समझौता कर लिया है जो आने वाले दिनों में इन देशों के साथ द्विपक्षीय कूटनीतिक रिश्तों पर भी असर डालेगा। 


• इन देशों के साथ सिर्फ ऊर्जा खरीद का समझौता नहीं किया गया है बल्कि भारतीय कंपनी की तरफ से इनके ऊर्जा बाजार में बड़ा निवेश भी किया जाएगा। अमेरिका के साथ किए गए समझौते का असर यह भी होगा कि ईरान से एलएनजी खरीदने की भारत की योजना ठंडे बस्ते में जा सकती है। 


• अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से जब भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया था, तभी भी अमेरिका ने कहा था कि वह भारत की ऊर्जा आपूर्ति को पूरा करने की कोशिश करेगा।अगले कुछ वर्षो में भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का 15 फीसद एलएनजी से पूरा किया जाएगा। भारत अभी दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक है और जल्द ही जापान और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा आयातक बन सकता है। 


• पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रलय देश के 400 शहरों में पीएनजी देने की योजना पर काम कर रहा है। जबकि पूरे देश में गैस आधारित ट्रांसपोर्ट व्यवस्था अपनाने के लिए एलएनजी की जरूरत होगी।


• दोनों देशों को फायदा : विदेश मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के लिए यह परियोजना फायदे का सौदा है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को गैस आधारित बनाने में मदद मिलेगी और साफ व स्वच्छ ईंधन लंबे समय तक मिल सकेगा। अमेरिकी कंपनी को यह फायदा होगा कि उसे भारत जैसे विशाल ऊर्जा बाजार में सीधे घुसने का मौका मिल जाएगा। 


• दोनों कंपनियां मार्च, 2020 तक इस समझौते को अंतिम रूप देंगी तभी पता चल सकेगा कि किस कीमत पर भारत को एलएनजी मिलेगी।


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