उन्नाव रेप केस: UP पुलिस और सरकार पर SC क्यों नहीं कर पा रहा भरोसा

 



*_उन्नाव। रेप और हादसे के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो हुआ है उससे यूपी सरकार की साख को बड़ा बट्टा लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सारे मामलों की सुनवाई यूपी से बाहर होनी चाहिए। पीड़िता के परिवार की सुरक्षा यूपी पुलिस नहीं, CRPF करे। पीड़िता का इलाज यूपी के बाहर करवाना है क्या, ये भी परिवार से पूछिए।_*



_सवाल ये है कि जो राज्य खुद को नए भारत का नया उत्तर प्रदेश कहता है, जो कहता है कि यहां अपराधी पुलिस से थरथर कांपने लगे हैं, वहां की पुलिस से लेकर सरकार तक पर भरोसा क्यों नहीं? आखिर उन्नाव पीड़िता के मामले में यूपी की सरकार और पुलिस ने कौन सी नाइंसाफियां कीं, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को इतनी तल्ख टिप्पणियां करनी पड़ीं।_



*_रेप के केस में देर से FIR_*


_पीड़िता ने जून 2017 में बीजेपी एमएलए कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया। कायदे से तुरंत एफआईआर होनी चाहिए थी। लेकिन यूपी पुलिस ने ऐसा नहीं किया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब एफआईआर दर्ज हुई तो पुलिस ने विधायक को नामजद नहीं किया।_


_पीड़िता ने 4 जून, 2017 को रेप का आरोप लगाया और उसे 11 जून को गायब कर दिया गया। उसकी मां ने जब गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई तो उसके 9 दिन बाद 20 जून को उसे बरामद किया गया। पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया कि पुलिस के जुल्म से तंग आकर वो पीड़िता को लेकर दिल्ली चले गए।_



*_पीड़िता के पिता की हत्या_*


_रेप की पहली रिपोर्ट लिखाए करीब एक साल बीत चुके थे। 2018 में अप्रैल का महीना आ चुका था।_


_पीड़िता और उसका परिवार विधायक के खिलाफ रेप की एफआईआर लिखाने के लिए कोर्ट से पुलिस के चक्कर लगा रहा था। 3 अप्रैल 2018 जिस पीड़िता की मां की अर्जी पर उन्नाव की कोर्ट में सुनवाई हुई, उसी दिन पीड़िता के पिता को कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने बुरी तरह पीटा। बड़ी बात ये है कि पिटाई हवालात में हुई। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उल्टा पीड़िता के पिता को ही उठा लिया और आर्म्स एक्ट लगाकर दो दिन हिरासत में रखा।_



👉 *_टीवी चैनलों के परदे पर पूरे देश ने देखा कि पिटाई के कारण पीड़िता के पिता हालत खराब थी। कपड़े फटे थे, पूरा मुंह सूज गया था। पीठ से लेकर पैर पर पिटाई के निशान थे। उस वीडियो ने भी पुलिस की पोल खोली जिसमें अस्पताल में स्ट्रेचर पर बेसुध पड़े पीड़िता के पिता का अंगूठा लेकर कागजों पर दर्ज कर रही थी। बहरहाल इन सबके बीच पुलिस ने उन्हें मेडिकल जांच करवाकर जेल भेज दिया।_*



*_CM आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश_*


_कुलदीप के आतंक और पुलिस की नाइंसाफी से हताश पीड़िता ने 8 अप्रैल, 2018 को सीएम आवास के बाहर आत्मदाह की कोशिश की। टीवी चैनलों पर फिर एक बार उसने अपना दुखड़ा सुनाया कि कहीं सुनवाई नहीं हो रही।_



*_जेल में पिता की मौत_*


_पीड़िता के पिता की कितनी पिटाई हुई थी, ये तब साबित हो गया जब 9 अप्रैल को जिला जेल में उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद हंगामा मचा तो यूपी पुलिस ने कुलदीप के गांव माखी के एसओ समेत 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और मारपीट करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये भी साबित हो गया कि पीड़िता के पिता की मारपीट से मौत हुई, यानी हत्या हुई।_



*_रेप के आरोप में देर से गिरफ्तारी_*


_एक रेप पीड़िता ने ताकतवर नेता के खिलाफ आवाज उठाई थी, इसलिए उसके पिता की हत्या कर दी गई। तब भी कुलदीप को गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस एसआईटी बनाकर जांच करती रही। सूरते हाल देखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। जांच सीबीआई को सौंपी। 12 अप्रैल 2018 को CBI जांच शुरू हुई। CBI ने विधायक को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की बात कही। लेकिन हाईकोर्ट की फटकार के बाद 13 अप्रैल सुबह साढ़े 4 बजे विधायक को उसके लखनऊ के इंदिरा नगर घर से उठाया गया। आखिर में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर ही उसे गिरफ्तार किया गया।_



*_गवाह की मौत, बिन पोस्टमॉर्टम अंतिम संस्कार_*


_पीड़िता के पिता की हत्या में कुलदीप को भी आरोपी बनाया गया। इस मामले एक गवाह की अचानक अगस्त 2018 में मौत हो गई। ताज्जुब है जिस मामले में हाईकोर्ट से लेकर सीबीआई तक इन्वॉल्व थी, उसके गवाह की मौत हुई तो बिना पोस्टमॉर्टम उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।_



*_पीड़िता के परिवार ने पुलिस को लिखे 35 लेटर_*


_पीड़िता के परिवार का आरोप है कि उन्होंने पिछले एक साल में यूपी पुलिस को 35 लेटर लिखकर विधायक से बचाने की गुहार लगाई। परिवार कहता रहा कि जान को खतरा है लेकिन पुलिस इन पत्रों को बेबुनियाद बताकर खारिज करती रही।_



👉 *_पीड़िता के परिवार का आरोप है कि विधायक जेल में बैठे-बैठे अपने गुर्गों से धमकियां दिलाता रहा। गुर्गे घर में घुसकर धमकियां देते थे।_*



_परिवार ने धमकी का एक वीडियो भी पुलिस को दिखाया लेकिन पुलिस ने आंखें मूंद लीं। आखिर 28 जुलाई 2019 को रायबरेली में पीड़िता की कार को ट्रक ने टक्कर मारी। पीड़िता जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है। वकील भी गंभीर हालत में है। पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई। एक बार फिर आरोप लगा विधायक पर और यूपी पुलिस पर।_



*_हादसा या साजिश?_*


_जिस ट्रक ने पीड़िता की  कार को टक्कर मारी, उसका नंबर मिटा हुआ था। पीड़िता की सुरक्षा में लगाए गए सुरक्षाकर्मी उस दिन साथ नहीं थे। पीड़िता के चाचा ने जो एफआईआर लिखाई है उसमें आरोप लगाया है कि जिस पुलिसवाले को पीड़िता की सुरक्षा के लिए लगाया गया था, उसी ने विधायक को टिप दिया कि पीड़िता कहां आती-जाती है।_



👉 *_विधायक कुलदीप के भाई अतुल की हत्या की कोशिश में बंद पीड़िता के चाचा ने ये भी कहा है कि उसे रायबरेली जेल भेजा ही इसलिए गया था ताकि उससे मिलने जब परिवार के लोग आएं तो रास्ते में उनपर हमला बोला जा सके।_*



_यूपी सरकार और पुलिस को ये सवाल खुद से करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव केस से जुड़े हर मसले को यूपी से बाहर ले जाने के लिए क्यों कहा है? अगर सुप्रीम कोर्ट को यूपी पुलिस और सरकार पर भरोसा नहीं तो किसे होगा। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख से अब उन्नाव की बेटी को इंसाफ की आस जगी है।_


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